त्राटक है ध्यान से बेहतर कैसे ? दोनों ही मन को साधते है, नियंत्रण मजबूत बनाते है यहाँ तक की अनुभव भी होते है। लेकिन फिर भी त्राटक ध्यान से बेहतर है इसकी वजह है इनके पीछे के सिद्धान्त। आप ध्यान को बिना नियम करे तो आगे बढ़ नहीं सकते है जबकि त्राटक कम नियम में भी ध्यान से बेहतर अनुभव करवा सकता है। खासतौर से तब जब आप साधना में नए नए हो। ध्यान मन का संयम कर अपने अंतर को जाग्रत करता है वही त्राटक अवचेतन मन को जाग्रत कर आपकी कल्पनाओ और शक्तियों को जाग्रत करता है। what is better meditation or tratak ? why tratak is better than meditation in Hindi ?
हम बगैर किसी मकसद के कोई कार्य नहीं करते है। हर कार्य के पीछे कोई न कोई वजह होती है ऐसे में हमारे काम करने का तरीका क्या होता है : पहला काम को बेहतर से बेहतर तरीके से किया जाए, दूसरा काम में लगने वाला वक़्त कम और फायदा ज्यादा हो। यानि एक बेहतर विकल्प जिससे हमारा काम आसानी से पूरा भी हो जाये और हमें वो हासिल हो जो हम चाहते है। अब सवाल ये उठता है की क्या विकल्प आपको वो दे सकता है जो आप चाहते है ?
आज हमने हर सुविधा के विकल्प बना लिए है तकनीक में सुधार कर और उसे और भी बेहतर बनाया है ऐसे में ना सिर्फ हमारा वक़्त बचा है बल्कि हमने इच्छित लक्ष्य हासिल भी किया है। इसलिए हम कह सकते है की विकल्प का चुनाव करना कोई बुरा आईडिया नहीं है। लेकिन ! इसके लिए जरुरी है की आप विकल्प की खुबिया और कमिया दोनों जानते हो। ऐसे में आप न सिर्फ बेहतर काम कर पाएंगे बल्कि अच्छे परिणाम भी हासिल करेंगे। आज हम बताने जा रहे है त्राटक या ध्यान दोनों में बेहतर क्या है ?
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त्राटक या ध्यान दोनों में बेहतर क्या है ?
मुश्किल काम कोई नहीं करना चाहता है खासतौर से तब जब उसके विकल्प मौजूद हो। ऐसे में हम हमेशा कम समय के विकल्प का चुनाव करते है। त्राटक है ध्यान से बेहतर :
- साधना का समय
- विचारो पर नियंत्रण
- कम समय में आत्मविश्वास जगाना
- ध्यान की तुलना में जल्दी शून्यता का अनुभव
- अभ्यास और नियम
त्राटक ध्यान से बेहतर इसलिए भी माना जाता है क्यों की ये भी ध्यान की शुरुआत का एक भाग साबित हो चूका है क्यों की इसकी कार्यप्रणाली भी ध्यान की तरह ही है खासतौर से मन के शांत होने की।आइये बात करते है त्राटक ध्यान से बेहतर क्यों है। इसके लिए हमने कुछ पैरामीटर लिए है जिनके आधार पर आप भी त्राटक का चुनाव कर सकते है।
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त्राटक है ध्यान से बेहतर : साधना का समय
त्राटक में हम कम समय में अपने मन की चंचलता को नियंत्रित कर सकते है। ऐसा इसलिए क्यों की इंसानी मानसिकता खुद से नहीं दुसरो से प्रेरित होती है।
हम खुद के विचारो से इतना प्रभावित नहीं होते है जितना दुसरो के विचारो से फिर चाहे वो सकारात्मक हो नकरात्मक।
कहने का सीधा सा मतलब है विचारो का प्रभाव जिसे आप आजमा सकते है। आपका दोस्त आपको कहे की यार आप आज बहुत ही स्मार्ट लग रहे है तो आपके अंदर आटोमेटिक एक नयी ऊर्जा बहने लगती है आप खुद को बदला और स्मार्ट देखने लगते है। वही आप खुद से अगर 10 बार भी कहेंगे की में स्मार्ट लग रहा हूँ तो आपके मन में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। अगर कोई आपको कहे की आप आज इतने उत्साहित नहीं लग रहे है तो आप कुछ समय बाद खुद-ब-खुद निस्तेज और बेरुखे हो जाते है। क्यों की आपका मस्तिष्क इस प्रणाली पर सेट है।
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त्राटक साधना में कम समय में दे आत्मसुझाव :
त्राटक में अगर कोई ये समझता है की सिर्फ आंखे खोल कर बिंदु को देखते रहने से आप शांत और अनुभव करेंगे तो आप गलत है। त्राटक में 2 चीजे काम करती है। पहला एक बाह्य माध्यम जो आपका मास्टर बनता है दूसरा आपके आत्मसुझाव इन दोनों का मिश्रण ही आपको कम समय में चंचलता पर नियंत्रण पाने में मदद करता है। वही दूसरी ओर
ध्यान में आप खुद के मास्टर होते है। वह सिर्फ एक ही चीज है और वो है आत्मसुझाव जिसमे आप खुद के विचारो को रोकने की कोशिश करते है। लेकिन आपका माइंड एक जगह सेट ना होने की वजह से आप लंबे समय तक भी ध्यान में गहराई में नहीं उतर पाते है। ये हर जगह लागू नहीं होता है सिर्फ शुरुआती साधना के बारे में ही ये लागू होता है।
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विचारो पर नियंत्रण नहीं है मुश्किल :
जैसा की मेने ऊपर बताया हम खुद को मोटीवेट नहीं कर पाते है खासतौर से तब जब हम विचारो से घिरे होते है। ऐसे में क्या होगा जब हमारे विचारो को एक जगह पर फोकस करने का माध्यम मिल जाये। हमारी आंखे जितना देखती है उतना ही सोचती है। आंखे बंद होने के बाद भी कोई पॉइंट न मिलने की वजह से हमारा मन अनंत में चलता रहता है। ऐसे में एक पॉइंट द्वारा हम विचारो को पहले फोकस करते है फिर न्यूनतम विचार और अंत में हमारे आत्मसुझाव पर फोकस होते है। जब की
ध्यान में हमें आज्ञा चक्र या सांसो पर केंद्रित होना पड़ता है। कुछ समेत पश्चात् आपके सांसो की लय आप भूल जाते है या फिर आज्ञा चक्र पर केंद्रित नहीं हो पाते है क्यों ? क्यों की आपका मन सुझाव पर काम नहीं कर पाता है। और त्राटक में हमारे विचार लगातार चलते जरूर है लेकिन एक पॉइंट पर फोकस होकर। त्राटक है ध्यान से बेहतर क्यों की कम वक़्त में विचारो पर नियंत्रण पाना संभव है।
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ध्यान की तुलना में जल्दी विचार शून्यता का अनुभव :
त्राटक में हम विचारो को लगातार एक जगह फोकस करते रहते है जिसकी वजह से हम खुद का संयम कर लेते है और पता ही नहीं चलता है की कब हमने शून्यता में प्रवेश कर लिया। जब की ध्यान में हम विचारो का शमन करते है उन्हें रोकने का प्रयास करते है जिसकी वजह से विचार लगातार ना सिर्फ चलते रहते है। बल्कि आप खुद उनमे भ्रमित होते जाते है और कई देर बाद आपको पता चलता है की आप जहा से चले थे वही है।
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ध्यान में मानसिक थकान :
मन को साधना बड़ा मुश्किल काम है पर त्राटक में हम बार बार आत्मसुझाव द्वारा इसे संभव बना लेते है। ध्यान में लंबे समय तक बैठे रहने के बाद हमें मानसिक थकान का अनुभव होने लगता है। त्राटक में हम लगातार घंटो तक करे तब भी हमें थकान नहीं होती है दर्पण त्राटक इसका सबसे बड़ा उदहारण है। त्राटक है ध्यान से बेहतर क्यों की इसमें मानसिक थकावट ना के बराबर होती है।
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नियम और अभ्यास :
ध्यान में आपको लगातार लंबे समय तक खुद को साधना पड़ता है। क्यों की कुछ दिन करने के बाद अगर छोड़ दे तो मन की गति फिर से चलने लगती है और बाद में हमें ज्यादा मुश्किल हालात का सामना करना पड़ता है।
जबकि त्राटक में कुछ दिन करने के बाद ( महीना ) अगर हम कुछ दिन ना करे तो यदपि मन चंचल होने लगे या फिर आपका मन फिर से भागने लगे फिर भी आप थोड़े से अभ्यास द्वारा खुद को नियंत्रित कर सकते है।
त्राटक है ध्यान से बेहतर ये मेरे अपने विचार है। त्राटक बाह्य ध्यान ही है और ध्यान अंतर साधना। अगर आपको लगता है की ध्यान ज्यादा बेहतर है तो आप अपने तर्क कमेंट में रख सकते है। आज की पोस्ट त्राटक है ध्यान से बेहतर आपको कैसी लगी हमें जरूर बताये।
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आंतरिक त्राटक कैसे किया जाता है?
क्या बाह्य त्राटक के साथ आंतरिक त्राटक भी जरूरी है?
ashish ji antrik tratak dhyan ki tarah h jisme kisi object par tratak kar apne andar band ankho se vahi process dohrai jati h. jyada jankari k liye ap guru murti tratak ki post padhe आध्यत्मिक झुकाव को और भी करीब से महसूस करे गुरु मूर्ति त्राटक द्वारा