ना जाने कितनी ही सिद्धिया और शक्तिया है जो हमारे मन से उत्पन होती है. ऐसी ही एक शक्ति है मानस स्वरूप साधना. हम सभी मानसिक शक्तियों के बारे में पहले भी पढ़ चुके है जैसे टेलीपैथी और दूसरी शक्तिया जिनमे वस्तुओ को मानसिक तरंगो द्वारा कण्ट्रोल करना शामिल है.
दोस्तों हम पिछली कुछ पोस्ट में पढ़ चुके है की हमारा मन सर्वशक्तिमान है. अगर हम किसी चीज के अस्तित्व की कल्पना में यकीन करते है तो कही न कही किसी न किसी स्वरूप में उसका अस्तित्व जरूर है. हमारे मन की हर कल्पना को हमारा subconscious mind ही real रूप देता है.
इन सबसे परे एक शक्ति ऐसी भी है जो हमारे मन की सबसे बड़ी कल्पना स्वरूप से निर्मित और शक्तिशाली है. पुराने ग्रन्थ और धार्मिक पुस्तको में ऐसी ही एक शक्ति का वर्णन है जो मात्र कल्पना से हमारी हर इच्छा पूर्ण कर देती थी.
वर्तमान में इस तरह की शक्तियों की सिर्फ कहानिया सुनने को मिलती है. लेकिन कही न कही सच्चाई जरूर है. अगर आपका रुझान ऐसी शक्तियों को जाग्रत करने में है जो आपके अवचेतन मन से जुड़ी है तो आपको मानस स्वरूप साधना या कृत्या सिद्धि के बारे में जरुर जानना चाहिए.
कृत्या सिद्धि के बारे में हम वेद और पुराण में पहले ही पढ़ चुके है. भगवान् महादेव की कई ऐसी शक्तियां है जो कृत्या सिद्धि का परिणाम थी. जिस साधना के बारे में हम आज जानने वाले है वो सात्विक साधना में से एक है. अगर आप मजबूत आत्म शक्ति के स्वामी है तो इस साधना को एक बार कर के देखे.
हमजाद साधना की तरह ही हम अपने मन की शक्तियों को एक आकार देते है. हमजाद साधना में साधक को भय लगता है तो उन्हें मानस स्वरूप की साधना का अभ्यास करना चाहिए क्यों की ये शक्तिशाली मगर सात्विक साधनाओ में से एक है.
मानस स्वरूप साधना या कृत्या सिद्धि
तंत्र की जानकारी रखने वाले कृत्या शब्द से भली भांति परिचित है. एक ऐसी शक्ति जो कल्पना मात्र से कार्य सम्पन करती है. इसी साधना को ध्यान द्वारा करने पर प्राप्ति होती है मानस स्वरूप की.
मानस स्वरूप साधना को सम्पूर्ण करने के लिए साधक को उच्च स्तर का मस्तिष्क विचारशून्य करना पड़ता है.
ब्रह्मचर्य के तेज से अपने कल्पना शक्ति द्वारा मानस स्वरूप की रचना करनी पड़ती है. ज्यादातर शक्तिया हमारे मन से उत्पन होती है इसलिए इनके निर्माण में आपको बहुत प्रचंड उर्जा की जरुरत पड़ती है.
प्राण उर्जा को बढाने वाले योग अभ्यास ऐसी स्थिति में करने से हमें इस तरह की साधना में फायदा मिलता है. मानस स्वरूप साधना का अभ्यास करने के लिए सबसे सही सुबह ब्रह्म महूर्त का समय होता है. यहाँ आपको जान लेना चाहिए की आपके मस्तिष्क पर जितना ज्यादा आपका नियंत्रण होगा उतना ही आपको फायदा मिलेगा.
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मानस साधना को करने की विधि
मानस साधना को ध्यान द्वारा सम्पन करना बहुत दुष्कर कार्य है. उच्चस्तर के विचारशून्यता के साथ साथ लगातार चिंतन करते रहना इस साधना की आवश्यकता है. ज्यादातर लोग इसे इस वजह से कर नहीं पाते है क्यों की अभ्यास के दौरान उनका मन इधर से उधर भटकता रहता है.
मानस स्वरूप साधना और कुछ नहीं बल्कि हमारे मन की शक्ति को एक आकार देना है. जब हम अपने मन में किसी शक्ति का आकार देने लगते है तो एक समय के बाद वो वास्तविकता में बदल जाता है.
कृत्या साधना भी इसी का आध्यात्मिक स्वरूप है. हर रोज ध्यान की अवस्था में अपने शरीर से एक उर्जा को निकलते हुए अनुभव करे जो आपकी कल्पना से एक आकार ले रही है.
ध्यान और विचारशून्यता का अभ्यास सबसे पहले गुरु और देव पूजन करना चाहिए जिससे हमें आध्यात्मिक बल मिले और चित की शुद्धि रहे. ध्यान की अवस्था में आ जाइये और वातावरण को सुगन्धित बना ले ताकि लंबे समय तक साधना में बैठे रह सके.
ध्यान की अवस्था में आने के बाद विचारशून्यता की अवस्था में आ जाइये. लंबे समय तक चित का स्थिर रहना इस साधना की प्रथम आवश्यकता है.
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कल्पना शक्ति और शारीरिक तेज का संयोग
मानस स्वरूप साधना यानि अपने मन द्वारा स्वरूप की रचना. इसमें हम जो ऊर्जा काम में लेते है वो हमारा अपना तेज होता है और ब्रह्मचर्य द्वारा उत्पन तेज इसकी शक्ति का मुख्य आधार है.
जब आप लंबे समय तक विचारशून्य रहने की स्थिति में आ जाते है तो कल्पना शक्ति द्वारा एक मानसिक स्वरूप की रचना करे. एक साथ सम्पूर्ण शरीर की रचना संभव नहीं इसलिए किसी एक अंग चाहे निचे से या ऊपर से शुरुआत करे.
आप ने न्यास ध्यान की पोस्ट में शरीर को शिथिल करना पढ़ा होगा बिलकुल उसी तरह किसी भी प्रकार से अंगो की मानसिक रचना करे. मानस स्वरूप साधना की इस सम्पूर्ण क्रिया में आधे घंटे से ज्यादा वक़्त लग जाता है.
क्या करे क्या नहीं
साधना में हमें मानसिक बल नहीं देना चाहिए जिससे की हमारा मस्तिष्क थके नहीं. लंबे समय तक सफलतापूर्वक करने के लिए इसे एक फिल्म की तरह मन में बैठा ले. साधना में स्वरूप की रचना पुरुष या कन्या की हमें अपने आवश्यकता और आचरण के अनुसार करनी चाहिए.
मानस स्वरूप का साधना के बाद भी हमें मानसिक रूप से चिंतन करते रहना है. हम जहां भी रहे और जो भी काम करे मानस स्वरूप को स्मरण करते रहे जैसे हमारी रचना हर पल हमारे साथ ही है.
मानस स्वरूप साधना में सफलता हासिल करने के बाद इस सिद्धि का प्रयोग गलत कामो में ना के. अगर शत्रु परेशान करे तो भी इसका प्रयोग करने से बचे क्यों की इसका संहारक प्रभाव काफी ज्यादा है.
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धार्मिक ग्रंथो में कृत्या का वर्णन
जब भस्मासुर ने भगवान् शिव को ही भस्म करने का मन बनाया तब मोहिनी अवतार लेकर श्री हरि ने उनका बचाव किया ये मोहिनी और कुछ नहीं मानस रचना ही थी.
जब देवो और दानवो में अमृत को लेकर बहस हुई तब मोहिनी अवतार लेकर भगवान् विष्णु ने उनको अमृत पान से रोका था. भगवान शिव और श्री हरि दोनों कृत्या सिद्धिया में माहिर थे. नारद मुनि खुद ब्रह्मा की मानस रचना थे.
पुराणों में और हमारे धार्मिक ग्रन्थों में कई स्थानों पर मानस स्वरूप साधना के बारे में पढ़ा है कि देवताओं ने या राक्षसों ने विपत्ति आने पर अपने योग बल से एक विशेष शक्ति सम्पन्न पुरुष या महिला को पैदा किया और उसके द्वारा अपने कार्य की सिद्धि प्राप्त कर ली.
दक्ष के यज्ञ का नाश करने के लिए जब महादेव असफल से हो रहे थे तो उन्होंने मंत्र बल से एक कृत्या को पैदा किया और कुछ ही क्षणों में उस कृत्या के माध्यम से यश का विध्वंस कर दिया.
इसी प्रकार देवी भागवत में ऐसे कई राक्षसों का वर्णन है, जिन्होंने अपने कार्य की सफलता के लिए कृत्या का प्रयोग किया है. जब भस्मासुर के अत्याचार से सभी देवता दुखी हो रहे थे तब भगवान विष्णु ने विशेष मोहिनी रूप कृत्या को उसी क्षण पैदा किया और उसने अपने मोहक रूप से भस्मासुर को मोहित कर उसे समाप्त कर दिया।
कृत्या एक विशेष शक्ति सम्पन्न देवी होती है, जो कि असंभव-से-असंभव कार्य करने में भी सफल होती है, पर यह न तो देवताओं की श्रेणी में होती है और न इसे राक्षस, पिशाच या अन्य किसी वर्ग में रखा जा सकता है, क्योंकि यह शुद्ध रूप से मानस कन्या या मानस अंग होती है जिसका अनुभव गोपनीय है. यह साधना अपने आप में अद्भुत है.
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हमजाद साधना और मानस स्वरूप साधना
हमजाद साधना के दौरान हमें भय की अनुभूति होने लगती है. इसके अलावा भी कई कारणों से ये साधना आम इंसान के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती है. लेकिन मानस स्वरूप साधना पूरी तरह शुद्ध और सात्विक साधना है.
आम इंसान तो नहीं पर उच्च कोटि के साधक इस साधना को पूरा करने में सक्षम जरूर है.
हम किसी भी साधना के बारे में सिर्फ सुनकर उसे सम्पन करने को लालयित हो जाते है. लेकिन किसी भी साधना के चरण हमें ध्यान रखने चाहिए जिनमे आचमन और संकल्प सबसे महत्वपूर्ण है.
आचमन हमें साधना के नियम से और हमारे उदेश्य से अवगत करवाता है. वही संकल्प किसी भी साधना को सम्पूर्ण करने का हमें वचनबद्ध करता है.
अगर आप सोचते है की इन को नजरअंदाज कर किसी साधना में आप सफलता प्राप्त कर सकते है तो ये संभव नहीं. आचमन हमारे अंतर मन को तैयार करने का सबसे अच्छा चरण है.
मानस स्वरूप साधना का अभ्यास
साधकों को चाहिए कि वह नित्य एक निश्चित समय पर आसन पर बैठ जाए. उस समय कमरे की सारी खिड़कियां और दरवाजे बन्द रहें तथा वातावरण पूर्णतः शान्त हो. सूर्योदय से एक घंटा पूर्व तथा सूर्योदय से एक घंटे बाद तक का समय इसके लिए सबसे अधिक उपयुक्त रहता है.
साधक स्थिर चित्त से अपने आसन पर बैठ जाए और एक ऐसी कल्पना करे, कि उसके शरीर से और शरीर के प्रत्येक अंग से कुछ तेज निकल कर एक कन्या का निर्माण हो रहा है.
साधक के सिर से तेज निकल कर उस मानसी कन्या के सिर का निर्माण हो रहा है. इसी प्रकार साधक की आंखों से उसकी आखें साधक के हाथ-पैरों से उसके हाथ-पैर आदि का निर्माण हो रहा है.
कुछ समय बाद जब साधक अपनी आंखें बन्द करेगा तो उसके शरीर से मानस रूप में निर्मित कन्या उसे स्पष्ट दिखाई देने लगेगी, पर इसमें साधक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह हर क्षण इस मानसी कन्या का चिन्तन करता रहे या उसे देखता रहे.
एक क्षण के लिए भी इस मानसी कन्या को अपनी आंखों से ओझल न होने दे.
मानस स्वरूप साधना के अभ्यास में चार-छः महीने लग सकते हैं परन्तु यदि नित्य इसी प्रकार का साधक करता रहे तो वह मानस कन्या हर क्षण उसकी आंखों के सामने रहेगी.
कुछ अभ्यास होने के बाद साधक चाहे बैठा हो, सो रहा हो, और चाहे यात्रा कर रहा हो वह मानस कन्या उसके साथ ही रहेगी और हर क्षण उसको अपनी आंखों कि सामने दिखाई देगी.
यह मानस कन्या और कोई नहीं ‘कृत्या’ ही है जो कि संसार की सबसे अधिक प्रबल और शक्तिवान है. इसकी शक्ति की सीमा नहीं होती और यह किसी भी प्रकार के कठिन से कठिन कार्य को करने में भी समर्थ होती है.
जहां मानव पंच तत्त्वों से मिल कर बनता है, वहीं यह कृत्या केवल मात्र तीन तत्त्वों से ही निमित होती है फलस्वरूप उसकी गति अप्रतिम होती है तथा इसका वेग मन से भी ज्यादा होता है.
जब यह कृत्या चौबीसों घण्टे आपकी आंखों के सामने रहे तब आप कृत्या निर्माण में सफल समझे जाएंगे.
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मानस स्वरूप साधना के लाभ
हम पहले की पोस्ट में पढ़ चुके है की हमजाद हमारी इच्छाओ की पूर्ति का सबसे बढ़िया माध्यम है. मानस स्वरूप साधना भी यही कार्य करती है जैसे की कोई भी कार्य फिर चाहे वो हमसे कितना ही दूर क्यों ना हो पूरा करने में सक्षम है.
मानसिक स्वरूप हमारे मन की शक्ति हमारे मनोबल से शक्ति प्राप्त करता है इसलिए जितना मजबूत आपका मनोबल होगा उतना ही शक्तिशाली आपका मानस होगा.
- मानस स्वरूप साधना के बाद जो मानस या कृत्या सिद्ध होता है वो आपके मन की गति से कार्यो को सिद्ध करता है.
- आप कोई भी मनचाहा कार्य बिना किसी रूकावट के मानस साधना के जरिये कर सकते है.
- हमजाद साधना की तरह ही हम मानस स्वरूप से कोई भी जानकारी निकलवा सकते है और कही से भी खबर मंगवा सकते है.
- भूत और भविष्य की घटना को जान सकते है.
- साधक अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते है.
- अगर कोई आपको परेशान कर रहा है तो मानस स्वरूप के जरिये उसका संहार किया जा सकता है.
ये सभी फायदे हमें मानस स्वरूप साधना को सिद्ध करने के बाद मिलने शुरू हो जाते है.
कृत्या के दर्शन कैसे करे ?
कृत्या भी मानसिक शक्तियों में से एक ही है जिसका उल्लेख शास्त्रों और पुराण में देखने को मिलता है. मजबूत इच्छाशक्ति वाला कोई भी व्यक्ति अपनी सहायक शक्ति कृत्या का दर्शन कर सकता है.
बीज मंत्र : भ्रीं (Bhreem)
इस मंत्र का उच्चारण रात्रि 10 बजे के बाद दर्पण के सामने बैठ कर करे. शुरू के 5-10 मिनट आंखे बंद कर ले और दर्पण के सामने इसका जाप करे. इसके बाद आंखे खोल दे और कल्पना करे की हे मेरी सहायक शक्ति मुझे दर्शन दे.
अचानक ही आप पाएंगे की दर्पण में एक आकृति आपको आपकी जगह दिखाई दी है. यही कृत्या है जिसका स्वरूप विकराल होता है लेकिन ये आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है. आप जब चाहे आपकी इस शक्ति का आवाहन कर सकते है और विकट परिस्थिति से आपको ये बहार निकालने में सहायता कर सकती है.
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मानस स्वरूप वास्तविक है या सिर्फ कल्पना
मानस स्वरूप साधना हमारे मन की एक रचना है. जब अभ्यास द्वारा मानसिक शक्तियों को विकसित कर हम दुसरो के दिमाग पर काबू पा सकते है या फिर किसी वस्तु को कण्ट्रोल कर सकते है. तो फिर उसी मन में कल्पना शक्ति और भावना शक्ति द्वारा मानस स्वरूप की रचना भी संभव है.
कोई भी बड़ी शक्ति आपके मन के विश्वास पर ही निर्भर है. आपकी आंतरिक शक्ति यानि मनोबल ही आपकी कल्पनाओ को स्वरूप प्रदान करता है.
जिन लोगो को खुद पर विश्वास नहीं होता है उनके लिए ये सब महज कल्पना होता है. आज भी इस दुनिया में कुछ ऐसे रहस्य है जिन्हें कोई सुलझा नहीं पाया है लेकिन विश्वास भी नहीं करना चाहता है. मानस स्वरूप या हमजाद साधना दोनों ही अपनी जगह सही है और इन्हें किया जा सकता है. ध्यान रखे की आपकी प्राण उर्जा का क्षय न होने पाए.
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मानस स्वरूप साधना सिद्धि विधान अंतिम शब्द
दोस्तों जितनी भी शक्तिया है उनमे से ज्यादातर हमारे मन की गति पर निर्भर है. अगर आप हमजाद की साधना का विकल्प देख रहे है क्यों की hamjad sadhna करना आपको सही नहीं लगता तो आप manas svarup sadhna or krutya sadhna in hindi कर सकते है.
ये आपके मन की संकल्पना होती है जो आपका कोई भी कार्य करने की क्षमता रखती है.
आप चाहे तो यहाँ दिए गए इस प्रयोग को भी कर सकते है. दोस्तों आज की पोस्ट मानस स्वरूप साधना एक और प्रयास है आपको ये बताने का की आपका मन कितना शक्तिशाली है. अपनी राय और सुझाव आप निचे कमेंट बॉक्स में जरूर रखे.
Bahot kam log ye baat jaan payenge ki is tarah ki sidhhiyan, uch sttar ki sadhna aur sidhi se door karti hai, matlab us sache parmatma , sarvshaktimaan, jo sabhi sidhion ka bhi daata hai,uski sadhna karna hi bhool jate hai.
देव जी जिसकी जैसी सोच उसे वैसा ही मिलता है. आपका कथन सही है लेकिन क्या हम अपने अंतर्मन की शक्तियों को उजागर करना भूल जाये ?
MANAS SWARUP SADHNA KITNE DINO MAI SIDHH HOTI HAI?
दिन के कितने घंटे आप इसे दे पाते है ये इस बात पर निर्भर है. ये एक ऐसी साधना है जिसमे समय का पता नहीं है.
bhai ye maanas sadhna Puniya ND SHRIMALI JI ki book PRACTICAL HIPNOTISM book me di gyi hai . puri vidhi ke sath hai . usme is sadhna ko manas kanya ka naam diya gya hai . or kahaa gya hai ki agar puri vicharshunyta or ichha shakti se ki jaaye to lagbhag 1 year tk maansik abhyaas krna hota hai ..
bilkul
Puniya
ye kaun si book hai?
Zara detail me batayenge plz?